सन्नी शुक्ला
2019 में जब हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब से ही राज्य की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया। भाजपा के लगातार सरकार गिराने के प्रयासों ने राज्य की राजनीतिक तापमान को लगातार गर्म कर रखा। लेकिन इन प्रयासों से हेमंत सरकार की सेहत पर तो कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। अपितु इन प्रयासों से न केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मजबूत होते गए। बल्कि उनका जनसमर्थन दिनोंदिन और मजबूत होता गया। केंद्रीय एजेंसियों की महीनों की जांच, अनर्गल राजनीतिक आरोप और सबसे बढ़ कर संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को दबाव में लाने के लिए जेल भेजने जैसे हथकंडों से हेमंत सोरेन की लोकप्रियता में वृद्धि ही होती चली गई। भाजपा की इन जनविरोधी हरकतों से हेमंत सोरेन को परेशान करने में सफलता जरूर मिली, लेकिन वो उनके आत्मविश्वास को कभी डिगा नहीं पाये। इन विपरीत परिस्थितियों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए मुख्यमंत्री पद पर काम करना आसान नहीं था, जिसे भाजपाई अपना "मास्टर स्ट्रोक" मान रहे थे। लेकिन जनता ने भाजपा की इस राजनीतिक चाल को बखूबी समझा, जिसका परिणाम यह हुआ कि जनता में उनके प्रति सहानुभूति की बाढ़ आ गई। उनके जेल जाने के बाद थोड़ी देर के लिए तो ऐसा लगा कि अब सरकार का अस्तित्व शायद ही बच पाए। इस विपरीत परिस्थिति में कल्पना सोरेन ने घर से बाहर निकल कर न सिर्फ विधायकों को एकजुट रखा, वरन् सरकार में शामिल दूसरे दलों के विधायकों का भी विश्वास जीतने में सफल रही। उनके द्वारा राज्य भर में लगातार 'मंईयां सम्मान यात्रा' आयोजित की गई तथा जनता को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया और भाजपा के षड्यंत्रों का पर्दाफाश किया। उनके इन सभी प्रयासों का परिणाम चुनाव में देखने को मिला और हेमंत सोरेन पुनः प्रचंड बहुमत से दुबारा सरकार बनाने में सफल रहे।
हेमंत सोरेन की पत्नी, कल्पना सोरेन के इस संघर्ष को आम जनता और पार्टी कभी नहीं भूलने वाली। हेमंत की अनुपस्थिति में, कल्पना सोरेन ने पार्टी का नेतृत्व संभाला और कई चुनावी सभाओं में भाग लिया। उनकी बोलने की शैली और जनसंपर्क ने पार्टी की ताकत को और बढ़ाया। कल्पना सोरेन के रूप में झारखंड की जनता ने पहली बार एक जुझारू संघर्षशील नेता देखा और उनके चुनावी अभियानों में हजारों लाखों की संख्या में लोग जुटते चले गए।कल्पना सोरेन की लोकप्रियता ने उन्हें महागठबंधन का स्टार प्रचारक बना दिया। उन्होंने न केवल झारखंड के चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि सैकड़ों सभाओं को भी संबोधित किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने महागठबंधन को 56 सीटों पर विजय दिलाई। इस सफलता से विपक्षी भी हतप्रभ रह गए। सभी ने यह स्वीकार किया कि इस जीत के पीछे कल्पना सोरेन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस सफलता के बाद न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में एक सशक्त महिला के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। चुनावी इतिहास में शायद ही कभी कोई महिला नेता इतने कम समय में घर से बाहर निकल कर इतनी प्रसिद्धि और सफलता अर्जित कर पाई हो।
हेमंत और कल्पना सोरेन की जोड़ी आज झारखंड की राजनीति में एक शक्तिशाली उदाहरण बन चुकी है। दोनों ने मिलकर अपनी पार्टी और राज्य के लिए लगातार संघर्ष किया और जनता का विश्वास जीतने में सफलता पाई। आने वाले वक्त में यह जोड़ी आने वाली राजनीतिक पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय बनेगी। राज्य के विकास के प्रति उनका दृष्टिकोण और उनकी कल्याणकारी योजनाओं की झड़ी ने झारखंड के विकास की गति को तेज किया है। जनता को पूरी उम्मीद है कि झारखंड में हेमंत और कल्पना सोरेन की जोड़ी आने वाले समय में और भी अधिक सकारात्मक बदलाव लाएगी। उनका संघर्ष, समर्पण, और जनकल्याण की दिशा में किए गए प्रयास राज्य के विकास को और तेजी से आगे बढ़ाएंगे। दोनों का यह नेतृत्व केवल झारखंड के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। यह जोड़ी न केवल राजनीतिक रूप से मजबूत है। बल्कि वे सामाजिक और आर्थिक विकास के मामले में भी झारखंड को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की अगुवाई में, झारखंड निश्चित ही एक नई दिशा में आगे बढ़ेगा और विकास के नए आयाम स्थापित करेगा। हेमंत और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने झारखंड की राजनीति में एक नई मिसाल कायम की है। उनके संघर्ष और नेतृत्व ने यह साबित किया कि सच्ची मेहनत और समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। उनकी राजनीतिक यात्रा राज्य के लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है और आने वाले समय में यह जोड़ी झारखंड को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
सन्नी शुक्ला,
अध्यक्ष, झामुमो युवा मोर्चा, पलामू।
(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)